"छत्रपति शिवाजी की कहानी: "शिवाजी और अन्नपूर्णा देवी का आशीर्वाद"

एक दिन, शिवाजी महाराज अपनी राजधानी रायगड़ के राजमहल में बैठे थे। उनकी सेना में भूख और अकाल की समस्या थी। शिवाजी ने सोचा कि अगर उन्हें अन्न नहीं मिला तो सेना कैसे आगे बढ़ेगी।

उन्होंने भगवान शिव की पूजा करते हुए माँ अन्नपूर्णा से आशीर्वाद मांगा। आचानक, रायगड़ के दरवाजे पर एक वृद्धा आदमी बूँदी की पिटारी लेकर आया। वह शिवाजी को बूँदी देने के लिए आया था। 

शिवाजी ने वह बूँदी सेना के साथ बांटी और इससे सेना को तुरंत पोषण मिला। माँ अन्नपूर्णा की कृपा से उनकी सेना फिर से शक्तिशाली बन गई।  

इस घटना ने शिवाजी को महसूस कराया कि देवी की कृपा से समस्याएं हल हो सकती हैं और उन्होंने भक्ति और सेवा में और भी बढ़ जाने का संकल्प किया। 

यह कहानी हमें यह शिक्षा देती है कि ईश्वरीय कृपा और सेवा से ही समस्याएं हल हो सकती हैं, और शिवाजी ने इसे अपने जीवन में अनुष्ठान किया।