"छत्रपति के बेटे की अद्वितीय वीरता: शक्तिशाली संभाजी राजे का अमूल्य किस्सा"

छत्रपति शिवाजी के बाद, उनके पुत्र संभाजी भी एक उदात्त और वीर नायक थे। एक दिन, शिवाजी महाराज ने संभाजी से कहा, "तुम्हें एक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण कार्य सौंपा जा रहा है।"

संभाजी ने आदरपूर्वक पूछा, "पिताजी, यह कौनसा कार्य है जो मुझपर सौंपा जा रहा है?"

शिवाजी महाराज ने हंसते हुए कहा, "तुम्हें एक नया हाथी पालने का कार्य सौंपा जा रहा है। इस हाथी को शिक्षित बनाओ और उसे सेना में शामिल करो।"

संभाजी ने आशीर्वाद स्वरूप कार्य स्वीकार किया और उसने हाथी को पालना शुरू किया। वह रोज़ हाथी के साथ खेतों में घूमता और उसे योद्धा बनाने के लिए शिक्षा देता।

कुछ सालों बाद, एक महत्वपूर्ण युद्ध के दौरान, संभाजी ने अपने सैनिकों के साथ यह देखा कि उनका पाला हुआ हाथी भी सैन्य के साथ खड़ा है और वीरता से युद्ध में भाग ले रहा है।

हाथी ने अपनी बड़ी ऊँगलियों से दुश्मनों को पीटता और उन्हें पराजित करता दिखाया।

संभाजी ने देखकर मुस्कराते हुए कहा, "पिताजी, आपने सही कहा था, हाथी वाकई में बहादुर है और उसने हमारी ओर से बड़ी सेवा की है।"

इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि कभी-कभी हमें छोटे-मोटे कार्यों में भी महत्वपूर्ण शिक्षाएं मिलती हैं और हमें उन्हें सजगता से ग्रहण करना चाहिए।