चौधरी चरण सिंह का जीवनचरित्र
चौधरी चरण सिंह, जो एक जाट परिवार से थे, ने स्वतंत्रता संग्राम के समय राजनीति में कदम रखा। उन्होंने बरेली जेल से लौटते समय दो डायरी रूपी किताबें लिखीं। स्वतंत्रता के बाद, वह राम मनोहर लोहिया के ग्रामीण सुधार आंदोलन में भी शामिल हो गए।
चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसम्बर, 1902 को गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनके पिता चौधरी मीर सिंह ने उन्हें नैतिक मूल्यों की शिक्षा दी। चरण सिंह ने आगरा विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और फिर वकालत में प्रवृत्त हुए। उन्होंने गाजियाबाद में वकालत की शुरुआत की और अपने व्यावसायिक पेशे के साथ ही स्वतंत्रता संग्राम में भी भाग लिया।
चौधरी चरण सिंह ने महात्मा गांधी के साथ ही नमक सत्याग्रह में भी शामिल होकर अपने प्रयासों का साक्षात्कार किया। उन्होंने गाजियाबाद के पास हिण्डन नदी पर नमक बनाने का कार्य किया और इसके लिए जेल की सजा भी भुगती।
स्वतंत्रता संग्राम के बाद, चौधरी चरण सिंह ने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी की स्थापना की और उन्होंने ग्रामीण सुधार के क्षेत्र में भी अपनी भूमिका निभाई। उनकी लिखित पुस्तक ‘शिष्टाचार’ और उनका समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण समाज में सुधार के प्रति उनके समर्पण को प्रमोट करते हैं।
चौधरी चरण सिंह का राजनीतिक जीवन
राजनीतिक जीवनकांग्रेस के लौहर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित होने के बाद, युवा चौधरी चरण सिंह ने राजनीति में सक्रियता दिखाई। उन्होंने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी की स्थापना की और 1930 में महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेकर नमक बनाने का कार्य किया, जिसके लिए उन्हें जेल जाना पड़ा।
वह किसानों के नेता के रूप में माने जाते रहे हैं और उनका योगदान जमींदारी उन्मूलन विधेयक के माध्यम से राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित रहा। उनके प्रेरणादायक प्रयासों के कारण, 1952 में यूपी में जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ, जिससे गरीबों को अधिकार मिला।चौधरी चरण सिंह ने लेखपाल पद की भी स्थापना की और 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण अधिनियम पारित कराया।
चौधरी चरण सिंह अपने जीवनकाल में मुख्यमंत्री और गृह मंत्री जैसे कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे, और उन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की भी स्थापना की। उन्होंने वित्त मंत्री और उप प्रधान मंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक की स्थापना की और 1979 में प्रधान मंत्री बने।
इसके अलावा, उन्होंने देश के विकास के लिए निरंतर प्रयास किए। उनकी नेतृत्व में देश में कई महत्वपूर्ण योजनाओं का आयोजन किया गया जो गरीबी की उन्मूलन, कृषि विकास, और शिक्षा क्षेत्र में नई दिशा स्थापित करने में सहायक साबित हुए।
भारत रत्न पुरस्कार
सरकार ने घोषणा की है कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा।. प्रधानमंत्री मोदी ने इस घोषणा को अपने X अकाउंट पर पोस्ट करके किया है।
चौधरी चरण सिंह की याद में पीएम मोदी ने अपने X अकाउंट पर यह पोस्ट किया, ‘हमारी सरकार के लिए यह गर्व का क्षण है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने का सौभाग्य है।इस सम्मान से उनके अद्वितीय योगदान को समर्पित किया जा रहा है।
चौधरी चरण सिंह अपना सम्पूर्ण जीवन किसानों के अधिकारों और कल्याण के लिए समर्पित किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री और सांसद के रूप में भी उन्होंने देश के निर्माण को प्रोत्साहित किया है। उन्होंने आपातकाल में भी साहस से खड़ा रहा। हमारे किसान भाइयों और बहनों के प्रति उनके समर्पण और आपातकाल में उनकी प्रतिबद्धता पूरे देश के लिए प्रेरणा स्रोत है।
वास्तविकता में, आरएलडी के प्रमुख जयंत सिंह के दादा और किसानों के मसीहा, एक प्रेरणास्त्रोत और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग लंबे समय से हो रही है।
चौधरी चरण सिंह ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं जो समाज को प्रेरित किया और उसे समृद्धि की दिशा में अग्रसर किया। उनके द्वारा कहे गए कुछ विचार:
- “किसान ही भूमि का सर्वश्रेष्ठ परिचायक है और उसे इसे उपयोग करने का सर्वोत्तम तरीका पता है।”
- “गरीबी और असमानता को खत्म करने का सही रास्ता है सामाजिक न्याय और समानता।”
- “हमारा देश वहाँ तक नहीं पहुँच सकता जहाँ उसके किसान और गरीब हमेशा असहाय हों।”
- “कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए समर्थन बढ़ाना हम सभी की जिम्मेदारी है।”
- “किसानों को सम्मान दिलाना हम सभी का दायित्व है, उनका समर्थन करना हमारा कर्तव्य है।”
इन विचारों से प्रकट होता है कि चौधरी चरण सिंह ने किसानों की महत्वपूर्ण रोल और उनके हकों की महत्वपूर्णता पर जोर दिया और समाज में न्याय और समृद्धि की दिशा में काम किया।